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चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस एएसआई भूपेंद्र सिंह को प्रोडूसर का इंतजार. उनके पास है बहुत सारे गाने मगर वह प्रोडूसर का तलाश कर रहे हैं

चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस एएसआई भूपेंद्र सिंह को प्रोडूसर का इंतजार.
उनके पास है बहुत सारे गाने मगर वह प्रोडूसर का तलाश कर रहे हैंhttps://youtu.be/eA7dmIe4kWs://
गानों के जरिए लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक कर रहे चंडीगढ़ के #ASI, सोशल मीडिया पर छाए
एएसआई द्वारा लोगों को गानों के जरिए ट्रैफिक नियमों के बारे में जागरूक करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. ये एएसआई चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस में 2012 से सेवाएं दे रहे हैं और इनका नाम है भूपेंद्र सिंह. भूपेंद्र सिंह ने दलेर मेंहदी के गाने बोलो तारा रा रा गाने का नया वर्जन निकाला है और नो पार्किंग वाली जगह पर गाड़ी पार्क करने वालों को इस नए गाने के ज़रिए जागरूक किया जा रहा है. इस गाने का वीडियो जैसे ही वायरल हुआ भूपेंद्र सिंह स्टार बन गए. खुद दलेर मेहंदी ने भी उनकी तारीफ की. दलेर मेंहदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि चंडीगढ़ पुलिस उनके गाने की धुन पर लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक कर रही है उनके लिए ये फक्र की बात है.

Chandigarh Traffic Police ASI Bhupendra Singh awaits producer. He has a lot of songs but he is looking for a producer
त्योहारों के दिनों में लगभग सभी शहरों में लोगों को ट्रैफिक की समस्या से जुझना पड़ता है. ऐसे में चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया है. गानों के ज़रिए लोगों को मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों के बारे में जागरूक किया जा रहा है. न सिर्फ रॉन्ग पार्किग में गाड़ी खड़े करने पर क्या परिणाम हो सकते हैं उसकी जानकारी गाने के जरिए दी जा रही है बल्कि चालान के रेट कितने-कितने बढ़ गए हैं और एक गलती के कारण कितनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है उसके बारे में पब्लिक को समझाने के लिए भी भूपेंद्र सिंह के गानों का ही सहारा लिया जा रहा है. भूपेंद्र सिंह अब तक नो पार्किंग, नए ट्रेफिक नियमों के चलते बढ़े चालान रेट, लड़कियों के लिए हेलमेट अनिवार्य, नो होर्न जैसे कई विषयों पर गाने लिख और गा चुके हैं.
बता दें कि वैसे तो भूपेंद्र सिंह 1987 से चंडीगढ़ पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन 2012 में वो चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस में आ गए थे. ज़ी मीडिया से बातचीत करते हुए भूपेंद्र सिंह ने बताया कि वो अब तक 20 से ज्यादा गाने गा चुके हैं सभी गाने उन्होंने ट्रैफिक नियमों से जुड़े गाए हैं. उनका मानना है कि वह गीतों से लोगों में ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता ला रहे हैं. भूपेंद्र सिंह ने कहा दुसरे राज्यों से आने वाले लोगों को चंडीगढ़ आने से पहले दिमाग में रहता है कि चंडीगढ़ पुलिस बहुत सख्त है और चालान काटती है. लेकिन गीत के माध्यम से हम उनके मन से डर निकालना चाहते हैं. हमारा मकसद सिर्फ जागरूकता फैलाना है और गाने सीधे लोगों को दिलों-दिमाग पर छा जाते हैं. इसलिए गानों के ज़रिए उनको जागरूक कर रहे हैं.
एएसआई भूपेंद्र सिंह अब एक सेलीब्रिटी बन गए हैं और यहां भी वो गाने गाकर लोगों को जागरूक कर रहे होते हैं. वहां लोग उनको देखने के लिए इकट्ठे हो जाते हैं. लोग भी भूपेंद्र सिंह के इस अंदाज को काफी सराह रहे हैं. उनका कहना है कि मनोरंजन भी हो जाता है और वो जागरूक भी होते हैं. लोगों ने कहा कि चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस हमेशा से सख्ती के लिए जानी जाती है लेकिन ये ट्रैफिक पुलिस का दूसरा रूप है
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Ayodhya
अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर

अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर
मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल कहते हैं कि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अभी शीत लहर की आशंका जताई जा रही है। हालांकि इसमें पूरा उत्तर भारत नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं। मौसम विभाग का मानना है कि ठंडी हवाओं के चलते गलन भी बढ़ेगी और अधिकतम तापमान में भी गिरावट दर्ज हो सकती है…
अगले 48 घंटे में उत्तर भारत के सभी इलाकों में न्यूनतम पारा दो से तीन डिग्री के करीब और नीचे गिर जाएगा। जबकि दिल्ली और एनसीआर समेत कुछ हिस्सों में गुरुवार और शुक्रवार को धूप तो निकलेगी, लेकिन गलन वाली ठंड में कोई कमी नहीं होगी। अगले 48 घंटे के भीतर बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मौसम में इस तरीके की तब्दीलियां देखी जा सकती हैं। वहीं कोहरे को लेकर विभाग का अनुमान है कि पिछले हफ्ते की तरह ही इस बार भी लगातार कोहरा पड़ता रहेगा।
Acident
Hit and Run Case Protest: हिट एंड रन कानून के खिलाफ प्रदर्शन उग्र, मैनपुरी में ट्रक चालकों और पुलिस की झड़प; चले ईंट-पत्थर

Hit and Run Case Protest: हिट एंड रन कानून के खिलाफ प्रदर्शन उग्र, मैनपुरी में ट्रक चालकों और पुलिस की झड़प; चले ईंट-पत्थर
हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में वाहन चालकों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। दिल्ली उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हड़ताल का असर दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिट एंड रन मामलों को लेकर नए कानून के खिलाफ यूपी राज्य परिवहन के बस चालकों ने हड़ताल की।

हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में वाहन चालकों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हड़ताल का असर दिखाई दे रहा है।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जिले में हड़ताल के दौरान चालकों ने पुलिस पर पथराव किया। हिट-एंड-रन कानून के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन के कारण छत्तीसगढ़ के रायपुर में लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुबह से ही पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें देखने को मिली।
हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में वाहन चालकों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हड़ताल का असर दिखाई दे रहा है।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जिले में हड़ताल के दौरान चालकों ने पुलिस पर पथराव किया। हिट-एंड-रन कानून के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन के कारण छत्तीसगढ़ के रायपुर में लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुबह से ही पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें देखने को मिली।
Acident
पौधा खाते ही शरीर में पहुंचेगी कोरोना की वैक्सीनअमेरिकी वैज्ञानिक

पौधा खाते ही शरीर में पहुंचेगी कोरोना की वैक्सीन, अमेरिकी वैज्ञानिक डेवलप कर रहे है ऐसा प्लांट
- फाइजर और मॉडर्ना ने mRNA तकनीक से तैयार की है अपनी कोविड की वैक्सीन
- कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इसी mRNA को पौधों में पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं
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वैक्सीन का नाम सुनते ही कई लोगों को इंजेक्शन का डर सताने लगता है। अमेरिका के वैज्ञानिक इसी डर को खत्म करने की कोशिश में जुटे हैं। वो ऐसा पौधा विकसित कर रहे हैं जिसे खाने के बाद इंसान में वैक्सीन पहुंच जाएगी। इसकी शुरुआत कोविड वैक्सीन से की जाएगी। आसान भाषा में समझें तो लोगों को पौधा खिलाकर कोविड की वैक्सीन दी जाएगी।
वैक्सीन वाले पौधे को अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया रिवरसाइड के शोधकर्ता विकसित कर रहे हैं। पौधे की मदद से कोरोना की mRNA वैक्सीन को इंसान में पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
पौधों में कैसे पहुंचेगी वैक्सीन, कैसे इसमें स्टोर होगी, वैक्सीन के इस नए तरीके के क्या फायदे होंगे और कितना कुछ बदलेगा, जानिए इन सवालों के जवाब….
सबसे पहले जानिए, कैसे काम करती है mRNA टेक्नोलॉजी से तैयार कोविड वैक्सीन
फाइजर और मॉडर्ना ने अपनी वैक्सीन को तैयार करने में mRNA तकनीक का इस्तेमाल किया है। इससे पहले तक इस तकनीक का इस्तेमाल कम ही किया जाता था। हाल में कोविड वैक्सीन तैयार करने के बाद इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। कई कंपनियां फ्लू का टीका बनाने के लिए mRNAतकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं।इस तकनीक से तैयार कोविड वैक्सीन रोगों से लड़ने वाले इम्यून सिस्टम को ट्रेनिंग देती है कि कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन कैसा होता है। इस ट्रेनिंग के बाद शरीर स्पाइक प्रोटीन को समझने के लायक बन जाता है। जब भी कोरोना शरीर को संक्रमित करता है तो इम्यून सिस्टम उस वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचान लेता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है।
ऐसी वैक्सीन से कितना कुछ बदल जाएगा, अब यह समझिए
- शोधकर्ताओं का कहना है, जिस तकनीक से फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना ने कोविड वैक्सीन तैयार की है, हम उसी तकनीक से वैक्सीन तैयार करके पौधे के जरिए इंसानों तक पहुंचाने की कोशिश में जुटे हैं।
- पौधे आसानी से पच जाते हैं जबकि सिरिंज से वैक्सीन लेने के बाद साइड इफेक्ट का खतरा बना रहता है। पौधों के रूप में दी जाने वाली वैक्सीन का रख-रखाव और लाना-ले जाना आसान होगा। कम तापमान पर पौधों को रखने पर इसमें मौजूद वैक्सीन के खराब होने का खतरा भी नहीं होगा।
- अगर यह प्रयोग सफल रहता है, निम्न आय वर्ग वाले देशों के लिए वैक्सीन वाला पौधा एक वरदान की तरह होगा। जहां कोविड की वर्तमान वैक्सीन के मुकाबले इन पौधों का स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन आसान होगा और खर्चा भी कम आएगा।
एक इंसान को वैक्सीन के लिए कितने पौधे चाहिए होंगे?
जवाब है, सिर्फ एक। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जुआन पाब्लो कहते हैं, एक पौधा एक इंसान के लिए पर्याप्त mRNA का निर्माण करेगा और उसे वैक्सीनेट किया जा सकेगा। पौधे के जरिए वैक्सीन पहुंचना हमारा लक्ष्य है, इसके लिए हम अपने बगीचे में पालक और लेट्टुस उगा रहे हैं। किसान भी इसे पूरे खेत में उगा सकेंगे।वैज्ञानिक पौधे के क्लोरोप्लास्ट में पहुंचाएंगे mRNA
शोधकर्ताओं का मानना है कि पौधों में मौजूद क्लोरोप्लास्ट mRNA को संभाल सकता है। इससे साफ है कि इसमें काफी क्षमता है। क्लोरोप्लास्ट है क्या, इसे भी समझते चलिए। दरअसल, पौधों का रंग जिस पिगमेंट के कारण हरा होता है, उसे ही क्लोरोप्लास्ट कहते हैं।इस क्लोरोप्लास्ट में mRNA को कैसे पहुंचाया जाए और लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जाए, वैज्ञानिकों की एक टीम में इसका पता लगाने में जुटी हुई है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो यह ओरल वैक्सीन की तरह काम करेगी।
-130 डिग्री पर वैक्सीन स्टोर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी
वर्तमान में मौजूद mRNA वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -130 डिग्री तापमान और ड्राय आइस की जरूरत होती है। ऐसे रखरखाव के कारण वैक्सीन की महंगी पड़ती है और ग्रामीण क्षेत्रों में इसे पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन वैक्सीन वाले पौधों को आसानी से विकसित किया जा सकेगा। यह लम्बी दूरी तय कर सकेगा।
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