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दिल्ली से न्यूयॉर्क 13499 रुपए मात्र ,दिल्ली से रेकजाविक 7 दिसंबर से सस्ते फ्लाइट शुरू वॉउ एयरलाइंस

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दिल्ली से न्यूयॉर्क तक का सफर मात्र 13499 रुपए में ,दिल्ली से रेकजाविक की फ्लाइट 7 दिसंबर से शुरू करेगी। 

अगर आप घूमने का प्लान बना रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बड़ी खुशखबरी है। आपके पास मौका है सस्ते फ्लाइट टिकट पर न्यूयॉर्क तक का सफर करने का। आपने अब तक घरेलू स्तर पर सस्ते हवाई सफर के कई ऑफर देखे होंगे। लेकिन इन ऑफर के बीच एक अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन ने धमाकेदार ऑफर पेश किया गया है।मात्र 13499 रुपए में आप दिल्ली से न्यूयॉर्क तक का सफर कर सकते है। हैरान मत होइए एयरलाइंस कंपनी एयरलाइन वॉउ ने लोगों को धमाकेदार ऑफर दिया है। इस ऑफर के तहत आप दिल्ली से न्यूयार्क तक का सफर वॉउ एयरलाइंस से कर सकते हैं।

जहां आप सामान्य तौर पर दिल्ली से न्यूयार्क तक के लिए 50 हजार के करीब किराया चुकाते हैं वहीं इस ऑफर में आपको मात्र 13449 रुपए का किराया चुकाना होगा।

आइसलैंड की बजट एयरलाइन वॉउ (Wow) ने लोगों को ये जबरदस्त ऑफर दिया है। वॉउ एयरलाइंस के सीईओ स्कुली मोगेनसेन ने इस ऑफर के बारे में घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली से उत्तरी अमेरिका के बीच बजट फ्लाइट शुरू की जाएगी।भारत से अमेर‍िका जाने के लिए सबसे छोटा रूट चुनते हैं, तो यह आइसलैंड के ऊपर से होकर गुजरता है। इस रूट में कम समय लगता है और कम समय का मतलब ईंधन और कम ईंधन का मतलब है कम खर्च। ऐसे में एयरलाइन का खर्च कम होगा। इससे लोगों पर बोझ कम होगा। इसलिए टिकट का किराया कम हो जाएगा।

इस सस्ती एयरलाइंस के सीईओ स्कुली मोगेनसेन के मुताबिक दिल्ली से रेकजाविक की फ्लाइट और इससे आगे न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिल्स की फ्लाइट का एक तरफ का किराया 13,499 रुपए होगा। उनके मुताबिक खाना, चेक इन बैग्स और मनपसंद सीट के लिए अलग से पैसे देने होंगे। ये सुविधा अगर कोई चाहता है तो ही रकम देनी होगी। उन्होंने कहा कि बेसिक किराए में हम एक सीट और लैपटॉप बैग जैसे सामान की सुविधा दे रहे हैं। हम स्मार्ट यात्रियों को टारगेट कर रहे हैं।

कंपनी बिजनेस क्लास के लिए 46,559 रुपए किराया वसूलेगी।

दिल्ली से रेकजाविक की हफ्ते में 5 फ्लाइट होंगी। ये जल्द ही रोजाना शुरू होने की आशा है। उनके मुताबिक ये सेवा और शहरों से भी शुरू होगी।

कंपनी ने कहा है कि फ्लाइट में सीटिंग अरेंजमेंट बेसिक से प्रीमियम तक होगी। प्रीमियम सीट बिजनेस क्लास जैसी होगी। इसमें वो सारी सुविधाएं होगी, जो एक बिजनेस क्लास में होती है।Wow Air भारत में ए-330 विमान से सेवा देती है। ये एयरलाइन यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 39 जगहों पर फ्लाइट की सेवा देती है। इसमें शिकागो, टोरंटो, लंदन और पेरिस जैसी जगह शामिल हैं।मोगेनसेन ने कहा कि भारत से अमेरिका की नॉनस्टाप फ्लाइट पोलर रुट से जाती है जो आइसलैंड के ऊपर से जाती है। इसलिए भारत और उत्तरी अमेरिका की फ्लाइट रेकजाविक से होकर बहुत कम समय लेगी। उन्होंने कहा कि अम दूसरी एयरलाइंस से हमेशा 30 से 50 फीसदी सस्ते हैं। अभी रेकजाविक के लिए एक तरफ के लिए अधिकतर एयरलाइंस 30,000 से 40,000 रुपए लेती हैं। रेकजाविक छोटे से देश आइसलैंड की राजधानी है।

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अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर

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अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर

मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल कहते हैं कि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अभी शीत लहर की आशंका जताई जा रही है। हालांकि इसमें पूरा उत्तर भारत नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं। मौसम विभाग का मानना है कि ठंडी हवाओं के चलते गलन भी बढ़ेगी और अधिकतम तापमान में भी गिरावट दर्ज हो सकती है…

अगले 48 घंटे में उत्तर भारत के सभी इलाकों में न्यूनतम पारा दो से तीन डिग्री के करीब और नीचे गिर जाएगा। जबकि दिल्ली और एनसीआर समेत कुछ हिस्सों में गुरुवार और शुक्रवार को धूप तो निकलेगी, लेकिन गलन वाली ठंड में कोई कमी नहीं होगी। अगले 48 घंटे के भीतर बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मौसम में इस तरीके की तब्दीलियां देखी जा सकती हैं। वहीं कोहरे को लेकर विभाग का अनुमान है कि पिछले हफ्ते की तरह ही इस बार भी लगातार कोहरा पड़ता रहेगा।

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Hit and Run Case Protest: हिट एंड रन कानून के खिलाफ प्रदर्शन उग्र, मैनपुरी में ट्रक चालकों और पुलिस की झड़प; चले ईंट-पत्थर

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Hit and Run Case Protest: हिट एंड रन कानून के खिलाफ प्रदर्शन उग्र, मैनपुरी में ट्रक चालकों और पुलिस की झड़प; चले ईंट-पत्थर

हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में वाहन चालकों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। दिल्ली उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हड़ताल का असर दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिट एंड रन मामलों को लेकर नए कानून के खिलाफ यूपी राज्य परिवहन के बस चालकों ने हड़ताल की।

हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में वाहन चालकों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हड़ताल का असर दिखाई दे रहा है।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जिले में हड़ताल के दौरान चालकों ने पुलिस पर पथराव किया। हिट-एंड-रन कानून के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन के कारण छत्तीसगढ़ के रायपुर में लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुबह से ही पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें देखने को मिली।

हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में वाहन चालकों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हड़ताल का असर दिखाई दे रहा है।

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जिले में हड़ताल के दौरान चालकों ने पुलिस पर पथराव किया। हिट-एंड-रन कानून के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन के कारण छत्तीसगढ़ के रायपुर में लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुबह से ही पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें देखने को मिली।

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पौधा खाते ही शरीर में पहुंचेगी कोरोना की वैक्सीनअमेरिकी वैज्ञानिक

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पौधा खाते ही शरीर में पहुंचेगी कोरोना की वैक्सीन, अमेरिकी वैज्ञानिक डेवलप कर रहे है ऐसा प्लांट

 

  • फाइजर और मॉडर्ना ने mRNA तकनीक से तैयार की है अपनी कोविड की वैक्सीन
  • कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इसी mRNA को पौधों में पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं
  • वैक्सीन का नाम सुनते ही कई लोगों को इंजेक्शन का डर सताने लगता है। अमेरिका के वैज्ञानिक इसी डर को खत्म करने की कोशिश में जुटे हैं। वो ऐसा पौधा विकसित कर रहे हैं जिसे खाने के बाद इंसान में वैक्सीन पहुंच जाएगी। इसकी शुरुआत कोविड वैक्सीन से की जाएगी। आसान भाषा में समझें तो लोगों को पौधा खिलाकर कोविड की वैक्सीन दी जाएगी।

    वैक्सीन वाले पौधे को अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया रिवरसाइड के शोधकर्ता विकसित कर रहे हैं। पौधे की मदद से कोरोना की mRNA वैक्सीन को इंसान में पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

    पौधों में कैसे पहुंचेगी वैक्सीन, कैसे इसमें स्टोर होगी, वैक्सीन के इस नए तरीके के क्या फायदे होंगे और कितना कुछ बदलेगा, जानिए इन सवालों के जवाब….

    सबसे पहले जानिए, कैसे काम करती है mRNA टेक्नोलॉजी से तैयार कोविड वैक्सीन
    फाइजर और मॉडर्ना ने अपनी वैक्सीन को तैयार करने में mRNA तकनीक का इस्तेमाल किया है। इससे पहले तक इस तकनीक का इस्तेमाल कम ही किया जाता था। हाल में कोविड वैक्सीन तैयार करने के बाद इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। कई कंपनियां फ्लू का टीका बनाने के लिए mRNAतकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं।

    इस तकनीक से तैयार कोविड वैक्सीन रोगों से लड़ने वाले इम्यून सिस्टम को ट्रेनिंग देती है कि कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन कैसा होता है। इस ट्रेनिंग के बाद शरीर स्पाइक प्रोटीन को समझने के लायक बन जाता है। जब भी कोरोना शरीर को संक्रमित करता है तो इम्यून सिस्टम उस वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचान लेता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है।

    ऐसी वैक्सीन से कितना कुछ बदल जाएगा, अब यह समझिए

    • शोधकर्ताओं का कहना है, जिस तकनीक से फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना ने कोविड वैक्सीन तैयार की है, हम उसी तकनीक से वैक्सीन तैयार करके पौधे के जरिए इंसानों तक पहुंचाने की कोशिश में जुटे हैं।
    • पौधे आसानी से पच जाते हैं जबकि सिरिंज से वैक्सीन लेने के बाद साइड इफेक्ट का खतरा बना रहता है। पौधों के रूप में दी जाने वाली वैक्सीन का रख-रखाव और लाना-ले जाना आसान होगा। कम तापमान पर पौधों को रखने पर इसमें मौजूद वैक्सीन के खराब होने का खतरा भी नहीं होगा।
    • अगर यह प्रयोग सफल रहता है, निम्न आय वर्ग वाले देशों के लिए वैक्सीन वाला पौधा एक वरदान की तरह होगा। जहां कोविड की वर्तमान वैक्सीन के मुकाबले इन पौधों का स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन आसान होगा और खर्चा भी कम आएगा।

    एक इंसान को वैक्सीन के लिए कितने पौधे चाहिए होंगे?
    जवाब है, सिर्फ एक। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जुआन पाब्लो कहते हैं, एक पौधा एक इंसान के लिए पर्याप्त mRNA का निर्माण करेगा और उसे वैक्सीनेट किया जा सकेगा। पौधे के जरिए वैक्सीन पहुंचना हमारा लक्ष्य है, इसके लिए हम अपने बगीचे में पालक और लेट्टुस उगा रहे हैं। किसान भी इसे पूरे खेत में उगा सकेंगे।

    वैज्ञानिक पौधे के क्लोरोप्लास्ट में पहुंचाएंगे mRNA
    शोधकर्ताओं का मानना है कि पौधों में मौजूद क्लोरोप्लास्ट mRNA को संभाल सकता है। इससे साफ है कि इसमें काफी क्षमता है। क्लोरोप्लास्ट है क्या, इसे भी समझते चलिए। दरअसल, पौधों का रंग जिस पिगमेंट के कारण हरा होता है, उसे ही क्लोरोप्लास्ट कहते हैं।

    इस क्लोरोप्लास्ट में mRNA को कैसे पहुंचाया जाए और लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जाए, वैज्ञानिकों की एक टीम में इसका पता लगाने में जुटी हुई है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो यह ओरल वैक्सीन की तरह काम करेगी।

    -130 डिग्री पर वैक्सीन स्टोर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी
    वर्तमान में मौजूद mRNA वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -130 डिग्री तापमान और ड्राय आइस की जरूरत होती है। ऐसे रखरखाव के कारण वैक्सीन की महंगी पड़ती है और ग्रामीण क्षेत्रों में इसे पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन वैक्सीन वाले पौधों को आसानी से विकसित किया जा सकेगा। यह लम्बी दूरी तय कर सकेगा।

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