SPIRITUAL
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् | व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता || ३

श्रीमद् भगवद्-गीता 1.3
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् |
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता || ३ ||”
अनुवाद
हे आचार्य! पाण्डुपुत्रों की विशाल सेना को देखें, जिसे आपके बुद्धिमान् शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशल से व्यवस्थित किया है ।
तात्पर्य
परम राजनीतिज्ञ दुर्योधन महान ब्राह्मण सेनापति द्रोणाचार्य के दोषों को इंगित करना चाहता था । अर्जुन की पत्नी द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद के साथ द्रोणाचार्य का कुछ राजनीतिक झगड़ा था । इस झगड़े के फलस्वरूप द्रुपद ने एक महान यज्ञ सम्पन्न किया जिससे उसे एक ऐसा पुत्र प्राप्त होने का वरदान मिला जो द्रोणाचार्य का वध कर सके । द्रोणाचार्य इसे भलीभाँति जानता था किन्तु जब द्रुपद का पुत्र धृष्ट द्युम्न युद्ध-शिक्षा के लिए उसको सौंपा गया तो द्रोणाचार्य को उसे अपने सारे सैनिक रहस्य प्रदान करने में कोई झिझक नहीं हुई । अब धृष्टद्युम्न कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में पाण्डवों का पक्ष ले रहा था और उसने द्रोणाचार्य से जो कला सीखी थी उसी के आधार पर उसने यह व्यूहरचना की थी । दुर्योधन ने द्रोणाचार्य की इस दुर्बलता की ओर इंगित किया जिससे वह युद्ध में सजग रहे और समझौता न करे । इसके द्वारा वह द्रोणाचार्य को यह भी बताना चाह रहा था की कहीं वह अपने प्रिय शिष्य पाण्डवों के प्रति युद्ध में उदारता न दिखा बैठे । विशेष रूप से अर्जुन उसका अत्यन्त प्रिय एवं तेजस्वी शिष्य था । दुर्योधन ने यह भी चेतावनी दी कि युद्ध में इस प्रकार की उदारता से हार हो सकती है ।
Ayodhya
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।
कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इसकी जानकारी दी है।
Ayodhya
स्वर्ण कपाटों से सज गया राम मंदिर, पहली तस्वीर आई सामने; 15 जनवरी तक पूरा हो जाएगा ये काम

स्वर्ण कपाटों से सज गया राम मंदिर, पहली तस्वीर आई सामने; 15 जनवरी तक पूरा हो जाएगा ये काम
गर्भगृह के बांयी ओर व परकोटे के बगल में कुल मिलाकर दो कपाट लगाए गए। एक सप्ताह के भीतर भूतल के सभी 14 स्वर्ण जड़ित कपाट लगा दिए जाएंगे। 15 जनवरी तक हरहाल में भूतल की तैयारी को अंतिम स्पर्श दिया जाना है। राम मंदिर के तीनों तल को मिलाकर कुल 44 कपाट लगाए जाने हैं। इसमें भूतल पर 18 कपाट हैं लेकिन 14 कपाट स्वर्ण मंडित होंगे।
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी के बीच मंगलवार को बहुप्रतिक्षित पल आ गया और मंदिर के भूतल में स्वर्ण मंडित कपाट लगाने का क्रम प्रारंभ हो गया। शाम तक दो कपाट लगाए जा सके हैं। हालांकि अभी गर्भगृह के मुख्य द्वार पर स्वर्ण मंडित कपाट नहीं लगाया जा सका।
गर्भगृह के बांयी ओर व परकोटे के बगल में कुल मिलाकर दो कपाट लगाए गए। एक सप्ताह के भीतर भूतल के सभी 14 स्वर्ण जड़ित कपाट लगा दिए जाएंगे। 15 जनवरी तक हरहाल में भूतल की तैयारी को अंतिम स्पर्श दिया जाना है।
राम मंदिर के तीनों तल को मिलाकर कुल 44 कपाट लगाए जाने हैं। इसमें भूतल पर 18 कपाट हैं, लेकिन 14 कपाट स्वर्ण मंडित होंगे। महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ी से ये कपाट तैयार किए गए।
बाद में इन पर चढाने के लिए सोने की पत्तल तैयार की गई। कारीगरों का कहना है कि एक सप्ताह के भीतर कपाट लगा दिया जाएगा। एलएंडटी के निदेशक बीके मेहता ने बताया कि स्वर्ण मंडित कपाट लगाना शुरू हो गया है।
Ayodhya
मंदिर के गर्भगृह में बालस्वरूप में विराजेंगे रामलला,

Ayodhya Ram Mandir: मंदिर के गर्भगृह में बालस्वरूप में विराजेंगे रामलला, जानिए उनकी पुरानी मूर्ति का क्या होगा
22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा। राम मंदिर में रामलला की नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि राम मंदिर में विराजमान होने वाली भगवान राम की नई मूर्ति दुनिया की सबसे अनोखी मूर्ति होगी।22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा, जिसको लेकर अभी से तैयारियां जोरों पर हैं। सिर्फ अयोध्या ही नहीं पूरे देश में इसका अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। राम भक्तों के लिए यह बेहद ही खुशी का अवसर बनने जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई दिग्गज नेता, अभिनेता, कलाकार व उद्योगपतियों को न्योता भेजा जा रहा है। पूरे अयोध्या को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है। वहीं राम मंदिर में रामलला की नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि राम मंदिर में विराजमान होने वाली भगवान राम की नई मूर्ति दुनिया की सबसे अनोखी मूर्ति होगी। ऐसे में चलिए जानते हैं कि रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा.रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा ?
मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई मूर्ति के साथ ही पुरानी मूर्ति को भी प्रतिष्ठित करने की योजना है। जानकारी के अनुसार नई मूर्ति को अचल मूर्ति कहा जाएगा, जबकि पुरानी मूर्ति उत्सव मूर्ति के तौर पर जानी जाएगी। साथ ही कहा जा रहा है कि बाद में उत्सवमूर्ति को श्रीराम से जुड़े सभी उत्सवों में विराजमान किया जाएगा। वहीं नई मूर्ति गर्भ गृह में भक्तों के दर्शन के लिए विराजमान रहेगी।
कैसी होगी रामलला की नई मूर्ति ?
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी मूर्ति स्थापित की जाएगी, जिसमें रामलला बाल स्वरूप में होंगे। मूर्ति में रामलला को खड़े हुए दिखाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फीट होगी।
त्रेतायुग थीम से सज रही है अयोध्या नगरी
त्रेतायुग में श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के घर ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ था। श्रीराम भगवान विष्णु जी के अवतार थे। इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। ऐसे में पूरे अयोध्या को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है। सड़कों के किनारे सूर्य स्तंभ लगाए जा रहे हैं, जो भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाते हैं।
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