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सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम समेत सभी चारो दोषियों को उम्रकैद की सज़ा

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सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला

छत्रपति रामचन्द्र मर्डर मामला

पंचकूला सीबीआई अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला

राम रहीम समेत सभी चारो दोषियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई

चारों दोषियों को ताउम्र सलाखो में बितानी होगी

सभी दोषियों को 50-50 हजार रुपये जुर्माना किया गया है औऱ जुर्माना नही भरने पर 2-2 साल की सज़ा अत
सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने वीरवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोषियों को सजा सुनाई। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम, किशन लाल, निर्मल सिंह और कुलदीप सिंह को रामचंद्र छत्रपति की हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है ।कोर्ट के फैसले के बाद अब गुरमीत सिंह और उसके तीनों गुर्गे सारी उम्र जेल की सलाखों के पीछे रहेंगे और उन्हें ताउम्र जेल में बितानी होगी ।अदालत ने अपने फैसले में चारों अपराधियों पर 50-50हजार का जुर्माना भी ठोका है ।जुर्माना अदा न करने की सूरत में उन्हें दो-दो साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। सीबीआई अदालत ने आर्म्स एक्ट के तहत भी कृष्ण लाल और निर्मल सिंह को तीन-तीन साल की सजा और 5-5 हजार जुर्माना किया है।

छत्रपति रामचंद्र के बेटे अंशुल और उसके परिवार में पिता के हत्यारों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए 16 साल से भी ज्यादा संघर्ष किया है पंचकूला की सीबीआई अदालत से फैसला आने के बाद अंशुल छत्रपति संतुष्ट नजर आए उन्होंने कहा कि राम रहीम और उनके तीन गुर्गोंं ने उनके पिता की जो हत्या की थी उस मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है और वे संतुष्ट हैं ।इसके साथ ही अंशुल छत्रपति ने यह भी कहा कि अबे इस फैसले पर कोई अपील नहीं करना चाहते ।वहीं राम रहीम के पूर्व ड्राइवर और इस मामले में गवाही देने वाले खट्टा सिंह ने भी कहा कि आखिरकार न्याय की जीत हुई है ।उन्होंने कहा कि जो लोग उनको झूठा बताते थे कोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया है कि वह झूठे नहीं थे बल्कि राम रहीम गुनहगार था।

सिरसा में अपना दैनिक सांध्य अखबार ‘पूरा सच’ निकालने वाले रामचंद्र छत्रपति ने साल 2002 में एक गुमनाम चिट्ठी को अपने अखबार में प्रकाशित किया था। 13 मई 2002 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी गई एक चिट्ठी में साध्वी ने राम रहीम पर डेरे में साध्वियों से यौन शोषण का आरोप लगाया गया था।इस चिट्ठी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस के पास भी भेजा गया।जिस पर संज्ञान लेते हुए 24 सितंबर 2002 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। सीबीआई जांच के आदेश के एक महीने बाद यानि 24 अक्टूबर 2002 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर सिरसा में जानलेवा हमला हुआ था। छत्रपति को घर के बाहर दो शूटर्स ने 5 गोलियां मारी थी।. छत्रपति को पीजीआई रोहतक में भर्ती करवाया गया था उसके बाद रामचंद्र छत्रपति को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रेफर किया गया जहां 21 नवंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया।पुलिस ने जांच में छत्रपति को गोली मारने वाले को पकड़ा लिया था, जिसने पूछताछ में बताया कि वो डेरे में एक साधू है. जिस रिवॉल्वर से गोली मारी गई वो डेरे के एक मैनेजर की लाइसेंसी रिवॉल्वर थी। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक वॉकी टॉकी भी बरामद किया था जो डेरे के नाम से रजिस्टर्ड था। गिरफ्तारी आरोपी की निशानदेही पर डेरे से जुड़ा दूसरा आरोपी भी गिरफ्तार हुआ।. परिजनों ने तत्कालीन सीएम ओपी चौटाला को चिट्ठी लिखकर जांच पर सवाल उठाए लेकिन सरकार का जवाब ना मिलने पर परिवार ने जनवरी, 2003 में हाईकोर्ट का रुख किया।परिजनों ने हाईकोर्ट में किसी जिम्मेदार एजेंसी से जांच करवाने की मांग की. नवंबर 2003 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रंजीत मर्डर केस और छत्रपति मर्डर केस में सीबीआई को जांच सौंप दी।. जांच में सीबीआई ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को दोनों हत्याओं का मुख्य आरोपी माना और 31 जुलाई 2007 को सीबीआई ने साध्वी यौन शोषण, रंजीत मर्डर केस, छत्रपति मर्डर केस में चालान दाखिल किया. 16 साल पुराने इस मुकदमे में 11 जनवरी को सीबीआई की विशेष अदालत ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम समेत चारों आरोपियों को दोषी करार दे दिया था वीरवार को अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए चारों को उम्र कैद की सजा सुना दी।

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