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हरियाणा रेतीले इलाके में सेब,उगाकर इस किसान असंभव को किया संभव.
ऑर्गेनिक तरीके से सेब उगाकर असंभव को किया संभव रेतीले इलाके में उगाई काजू, बादाम, केशर, अंजीर, पिस्ता की फसल चंदन की खेती करने का भी करेगें प्रयास
चरखी दादरी। दादरी जिला के किसान धर्मेन्द्र ने ऐसा काम कर दिखाया है, जिसे लोग असंभव मानते हैं। धर्मेन्द्र ने केवल ढ़ाई साल की मेहनत से राजस्थान की सीमा के साथ लगते गांव में सेब का फल ऊगाने में कामयाबी हासिल की है। धर्मेन्द्र की मेहनत व इस उपलब्धि से लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है जब हरियाणा में भी सेब, काजू, बादाम, केशर, अंजीर व पिस्ता की खेती होगी। प्रदेश के नवगठित जिले के गांव कांहड़ा निवासी धर्मेन्द्र के घर लगे सेब के पेड़ों पर इस गर्मी के मौसम में भी 7 सेब लगे हुए हैं। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। उनके घर में सेब के कुल 14 पेड़ हैं, जिनमें से कुछ पेड़ अभी छोटे हैं। उनका कहना है कि अगले साल इन छोटे पेड़ों पर भी फल आएंगे। धर्मेन्द्र के बताया उन्होंने वर्ष 2016 में सेब का पौधा लगाया था और आज उस पर फल आ गया है। धर्मेन्द्र बताते हैं कि वे खेती के लिए स्वयं एक दवा बनाते है, जिसका नाम उन्होंने पेड़ों का अमृत रखा है। धर्मेन्द्र ने बताया इससे पहले वो गेंहू, चना, आदि फसल उगाते थे लेकिन उससे उनका घर-गुजारा अच्छी प्रकार से
किसान धर्मेन्द्र ने बताया लगभग दो साल की मेहनत के बाद यह दवाई तैयार की है, इस दवाई के नतीजे चौंकाने वाले हैं। धर्मेन्द्र का कहना है कि किसानों के लिए कोई ऐसी दवाई हो, जिसका प्रयोग हर फसल में हर रोग के लिए किया जा सके और उसके परिणाम भी बेहतर हों। इसी सोच को लेकर उन्होंने दवाई बनाने पर प्रयोग शुरू किए और स्वयं के खेत में ही प्रयोग करते रहे। कई बार और कई फसलों पर प्रयोग के बाद उन्हें इस पेड़ों के लिए अमृत नामक दवाई बनाने में सफलता मिली। इस दवाई से फसल में फुटाव तो बढ़ता है साथ ही फल भी अच्छा आता है। परंपरागत फसलों के साथ बागवानी में इस दवा के इस्तेमाल से उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार आता है। धर्मेन्द्र बताते हैं कि इस दवाई को विभिन्न पेड़ों की पत्तियों और गौ मूत्र आदि से तैयार किया गया है। इस दवा को लेकर अब भी प्रयोग जारी है।
कांहड़ा गांव का बोर्ड, बगीचे में चलता पानी, लगे पेड़-पौधे, देखभाल करता, सेब के बारे में बताता व सेब दिखता, दवाई का प्रयोग बताता, काजू, बदाम, केशर अंजीर व दवाई तैयार करते किसान