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श्रीमद भागवतम के दस विषय

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श्रीमद भागवतम के दस विषय

श्रीमद भागवतम में भगवान् श्री कृष्ण को हर व्यक्त रूप का आश्रय बताया गया है क्योंकि भगवान् कृष्ण, परम पुरुषोत्तम भगवान् ही सभी के उद्गम हैं और परम लक्ष्य हैं।

श्रीमद भागवतम में दस विषयों की व्याख्या हुयी है :
१) ब्रह्माण्ड के अवयवों की संरचना
२) ब्रह्मा द्वारा विभिन्न चराचर सृष्टि का निर्माण
३) सृष्टि का पालन
४) भक्तों के ऊपर कृपा
५) भगवद्भक्ति और शुद्ध धर्म का अनुष्ठान
६) कर्म के नियमों का पालन
७) भगवान् के विभिन्न अवतारों के आख्यान
८) सृष्टि का विलोपित होना
९) स्थूल एवं सूक्ष्म भौतिक अस्तित्व से मुक्ति
१०) सर्वोच्च एवं अंतिम आश्रय, परम पुरुषोत्तम भगवान् । दसवाँ विषय अन्य सभी विषयों का आश्रय भी है।
इस सर्वोच्च आश्रय को अन्य सभी विषयों से अलग, समझाने के लिए महाजनों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी प्रार्थनाओं या स्पष्ट वर्णनों द्वारा इनकी व्याख्या की है।

श्रीमद भागवतम के (२.१०.१ एवं २), श्लोकों में इन दस विषयों की चर्चा हुयी है। इनमे से जो दसवाँ आश्रय तत्त्व है वह सार है और अन्य नौ सार से उत्पन्न वर्ग हैं। विस्तार से यह दस विषय इस प्रकार से हैं :

१) सर्ग : भगवान् श्री विष्णु द्वारा प्रथम सृष्टि की रचना, पंच-महाभूत, पांच इन्द्रिय-विषय-वस्तुएं, पांच इन्द्रिय बोध की वस्तुएं, दस इन्द्रियां, मन, बुद्धि, मिथ्या-अहंकार एवं सम्पूर्ण भौतिक शक्ति या भगवान् का विश्वरूप।

२) विसर्ग : अप्रधान सृष्टि की रचना या ब्रह्मा द्वारा इस ब्रह्माण्ड में चर-अचर जीवों की उत्पत्ति

३) स्थान : भगवान् विष्णु द्वारा ब्रह्माण्ड का पालन। ब्रह्माण्ड के पालक होने के कारण भगवान् विष्णु का स्थान एवं उनकी कीर्ति ब्रह्मा जी या भगवान् शिव से अधिक है।

४) पोषण : भगवान् द्वारा भक्तों की विशेष देख-भाल एवं संरक्षण। जैसे एक राजा अपने राज्य के हर व्यक्ति का समान रूप से पालन-पोषण करता है परन्तु अपने परिवारजनों का विशेष सत्कार करता है, उसी प्रकार भगवान् अपने ऐसे भक्तों, जिन्होंने स्वयं को पूर्ण समर्पित कर दिया है, का विशेष ध्यान रखते हैं।

५) ऊति : सृजन करने की प्रेरणा, या पहल करने की शक्ति जो स्थान, काल, पात्र के अनुसार हर आविष्कार का कारण है।

६) मन्वन्तर : उन मनुओं द्वारा नियंत्रित अवधियां जिसमे वे जीवों के लिए नियामक सिद्धांतों द्वारा अपने मानव जीवन को सफल करने हेतु सीख देते हैं । मनु द्वारा बनाए गए नियमों यानि मनु-संहिता में वर्णित पूर्ण-सिद्धि को प्राप्त करने के मार्ग का वर्णन है ।

७) ईशानुकथा : भगवान्, इस पृथ्वी पर उनके अवतार एवं उनके भक्तों के क्रिया-कलापों के विषय में ज्ञान ही ईशानुकथा है। इन विषयों पर आधारित ग्रन्थ मनुष्य जीवन की उन्नति बहुत महत्वपूर्ण है।

८) निरोध : सृष्टि में नियोजित सभी शक्तियों को समेटने को निरोध कहते हैं। यह सामर्थ्य कारणोदक सागर में शयन करने वाले भगवान् से प्रकट होता है। उनके श्वास से ब्रह्माण्ड का सृजन होता है और समय आने पर विलीन भी हो जाता है।

९) मुक्ति : शरीर और मन के स्थूल और सूक्ष्म आवरण में जकड़े हुए बद्ध जीव की मुक्ति। जब वह जीव हर प्रकार के भौतिक प्रेम से मुक्त हो जाता है तो अध्यात्मिक लोक में अपनी वास्तविक दिव्य-अवस्था प्राप्त कर वैकुण्ठ या कृष्णलोक में भगवान् की सेवा में रत हो जाता है।
जब जीव अपनी मूल स्वाभाविक अवस्था में स्थित हो जाता है तो उसे मुक्त कहा जाता है। इस भौतिक शरीर में रहते हुए भी, भगवान् की दिव्य प्रेमाभक्ति में लगकर, जीवन-मुक्त होना संभव है।

१०) आश्रय : उत्कृष्टता, ज्ञानातीत तत्त्व। परमार्थ जहाँ से सबकुछ उद्भूत है, जिन पर सबकुछ स्थापित है, और जिनमे प्रलय के उपरांत सबकुछ विलीन हो जायेगा, वे सभी के उद्गम और आश्रय हैं। आश्रय को परम-ब्रह्म भी कहा जाता है, जैसे वेदांत-सूत्र में (अथातो ब्रह्म जिज्ञासा, जन्माद्यस्य यतः (श्रीमद भागवत १.१.१) श्रीमद भागवतम विशेष रूप से परम ब्रह्म की व्याख्या आश्रय के रूप के करती है। श्री कृष्ण ही वे आश्रय हैं इसलिए जीवन का सबसे बड़ा प्रयोजन भगवान् कृष्ण के विज्ञान का अध्ययन करना है।

श्रीमद भागवतम में भगवान् श्री कृष्ण को हर व्यक्त रूप का आश्रय बताया गया है क्योंकि भगवान् कृष्ण, परम पुरुषोत्तम भगवान् ही सभी के उद्गम हैं और परम लक्ष्य हैं।

 

 

 

यहाँ पर दो विभिन्न सिद्धांत विचारणीय हैं : आश्रय, वह जो आश्रय दे रहा है और आश्रित, वे जो आश्रय के आकांक्षी हैं। आश्रित, मूल तत्त्व आश्रय के अंतर्गत आते हैं। श्रीमद भागवतम के पहले नौ स्कंधों में वर्णित सृजन से मुक्ति तक – पुरुष-अवतार, अन्य अवतार, तटस्था-शक्ति या जीवात्मा, बहिरंगा-शक्ति या भौतिक संसार – सभी आश्रित हैं।

 

 

तथापि श्रीमद भागवतम की प्रार्थनाएं आश्रय तत्त्व, परम पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण की ओर लक्षित हैं। श्रीमद भागवतम की व्याख्या करने वाले निपुण महानात्माओं ने बहुत सावधानी से अन्य नौ विषयों का निरूपण किया है, कई बार स्पष्ट विवरण द्वारा और कई बार कथाओं के माध्यम से अपरोक्ष विवरण देकर। इन सबका वास्तविक उद्देश्य पूर्ण दिव्य भगवान् श्री कृष्ण हैं क्योंकि सम्पूर्ण सृष्टि, भौतिक एवं अध्यात्मिक, उनपर ही आश्रित है।
श्री चैतन्य चरितामृत आदि २.९१ – ९२, तात्पर्य)

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अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर

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अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर

मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल कहते हैं कि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अभी शीत लहर की आशंका जताई जा रही है। हालांकि इसमें पूरा उत्तर भारत नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं। मौसम विभाग का मानना है कि ठंडी हवाओं के चलते गलन भी बढ़ेगी और अधिकतम तापमान में भी गिरावट दर्ज हो सकती है…

अगले 48 घंटे में उत्तर भारत के सभी इलाकों में न्यूनतम पारा दो से तीन डिग्री के करीब और नीचे गिर जाएगा। जबकि दिल्ली और एनसीआर समेत कुछ हिस्सों में गुरुवार और शुक्रवार को धूप तो निकलेगी, लेकिन गलन वाली ठंड में कोई कमी नहीं होगी। अगले 48 घंटे के भीतर बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मौसम में इस तरीके की तब्दीलियां देखी जा सकती हैं। वहीं कोहरे को लेकर विभाग का अनुमान है कि पिछले हफ्ते की तरह ही इस बार भी लगातार कोहरा पड़ता रहेगा।

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

 

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।

कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इसकी जानकारी दी है।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे एकनाथ शिंदे, स्पीकर ने खारिज की विधायकों की अयोग्यता की याचिका

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे एकनाथ शिंदे, स्पीकर ने खारिज की विधायकों की अयोग्यता की याचिका

महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज का दिन बड़ा अहम रहा।  महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में 1200 पन्नों का फैसला सुनाया। विधानसभा स्पीकर ने अपने फैसले में शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना। साथ ही 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी। फैसले के अहम बिंदुओं को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि जब पार्टी में बंटवारा हुआ था, तब शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का समर्थन था। ऐसे में उनके नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने भी इसे मान्य करार दिया था।

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