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पौधा खाते ही शरीर में पहुंचेगी कोरोना की वैक्सीनअमेरिकी वैज्ञानिक

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पौधा खाते ही शरीर में पहुंचेगी कोरोना की वैक्सीन, अमेरिकी वैज्ञानिक डेवलप कर रहे है ऐसा प्लांट

 

  • फाइजर और मॉडर्ना ने mRNA तकनीक से तैयार की है अपनी कोविड की वैक्सीन
  • कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इसी mRNA को पौधों में पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं
  • वैक्सीन का नाम सुनते ही कई लोगों को इंजेक्शन का डर सताने लगता है। अमेरिका के वैज्ञानिक इसी डर को खत्म करने की कोशिश में जुटे हैं। वो ऐसा पौधा विकसित कर रहे हैं जिसे खाने के बाद इंसान में वैक्सीन पहुंच जाएगी। इसकी शुरुआत कोविड वैक्सीन से की जाएगी। आसान भाषा में समझें तो लोगों को पौधा खिलाकर कोविड की वैक्सीन दी जाएगी।

    वैक्सीन वाले पौधे को अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया रिवरसाइड के शोधकर्ता विकसित कर रहे हैं। पौधे की मदद से कोरोना की mRNA वैक्सीन को इंसान में पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

    पौधों में कैसे पहुंचेगी वैक्सीन, कैसे इसमें स्टोर होगी, वैक्सीन के इस नए तरीके के क्या फायदे होंगे और कितना कुछ बदलेगा, जानिए इन सवालों के जवाब….

    सबसे पहले जानिए, कैसे काम करती है mRNA टेक्नोलॉजी से तैयार कोविड वैक्सीन
    फाइजर और मॉडर्ना ने अपनी वैक्सीन को तैयार करने में mRNA तकनीक का इस्तेमाल किया है। इससे पहले तक इस तकनीक का इस्तेमाल कम ही किया जाता था। हाल में कोविड वैक्सीन तैयार करने के बाद इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। कई कंपनियां फ्लू का टीका बनाने के लिए mRNAतकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं।

    इस तकनीक से तैयार कोविड वैक्सीन रोगों से लड़ने वाले इम्यून सिस्टम को ट्रेनिंग देती है कि कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन कैसा होता है। इस ट्रेनिंग के बाद शरीर स्पाइक प्रोटीन को समझने के लायक बन जाता है। जब भी कोरोना शरीर को संक्रमित करता है तो इम्यून सिस्टम उस वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचान लेता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है।

    ऐसी वैक्सीन से कितना कुछ बदल जाएगा, अब यह समझिए

    • शोधकर्ताओं का कहना है, जिस तकनीक से फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना ने कोविड वैक्सीन तैयार की है, हम उसी तकनीक से वैक्सीन तैयार करके पौधे के जरिए इंसानों तक पहुंचाने की कोशिश में जुटे हैं।
    • पौधे आसानी से पच जाते हैं जबकि सिरिंज से वैक्सीन लेने के बाद साइड इफेक्ट का खतरा बना रहता है। पौधों के रूप में दी जाने वाली वैक्सीन का रख-रखाव और लाना-ले जाना आसान होगा। कम तापमान पर पौधों को रखने पर इसमें मौजूद वैक्सीन के खराब होने का खतरा भी नहीं होगा।
    • अगर यह प्रयोग सफल रहता है, निम्न आय वर्ग वाले देशों के लिए वैक्सीन वाला पौधा एक वरदान की तरह होगा। जहां कोविड की वर्तमान वैक्सीन के मुकाबले इन पौधों का स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन आसान होगा और खर्चा भी कम आएगा।

    एक इंसान को वैक्सीन के लिए कितने पौधे चाहिए होंगे?
    जवाब है, सिर्फ एक। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जुआन पाब्लो कहते हैं, एक पौधा एक इंसान के लिए पर्याप्त mRNA का निर्माण करेगा और उसे वैक्सीनेट किया जा सकेगा। पौधे के जरिए वैक्सीन पहुंचना हमारा लक्ष्य है, इसके लिए हम अपने बगीचे में पालक और लेट्टुस उगा रहे हैं। किसान भी इसे पूरे खेत में उगा सकेंगे।

    वैज्ञानिक पौधे के क्लोरोप्लास्ट में पहुंचाएंगे mRNA
    शोधकर्ताओं का मानना है कि पौधों में मौजूद क्लोरोप्लास्ट mRNA को संभाल सकता है। इससे साफ है कि इसमें काफी क्षमता है। क्लोरोप्लास्ट है क्या, इसे भी समझते चलिए। दरअसल, पौधों का रंग जिस पिगमेंट के कारण हरा होता है, उसे ही क्लोरोप्लास्ट कहते हैं।

    इस क्लोरोप्लास्ट में mRNA को कैसे पहुंचाया जाए और लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जाए, वैज्ञानिकों की एक टीम में इसका पता लगाने में जुटी हुई है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो यह ओरल वैक्सीन की तरह काम करेगी।

    -130 डिग्री पर वैक्सीन स्टोर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी
    वर्तमान में मौजूद mRNA वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -130 डिग्री तापमान और ड्राय आइस की जरूरत होती है। ऐसे रखरखाव के कारण वैक्सीन की महंगी पड़ती है और ग्रामीण क्षेत्रों में इसे पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन वैक्सीन वाले पौधों को आसानी से विकसित किया जा सकेगा। यह लम्बी दूरी तय कर सकेगा।

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एग्री किया तो प्राइवेसी खत्म होगी, नहीं किया तो अकाउंट डिलीट वॉट्सऐप नई पॉलिसी

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वॉट्सऐप की नई पॉलिसी: एग्री किया तो प्राइवेसी खत्म होगी, नहीं किया तो अकाउंट डिलीट करना होगा; सवाल-जवाब में समझें आप पर इसका क्या असर होगा?Google, Cisco and VMware join Microsoft to oppose NSO Group in WhatsApp  spyware case | TechCrunch
वॉट्सऐप यूजर्स के लिए नया साल नई शर्तों के साथ शुरू हुआ है। शर्तें भी ऐसी जिन्हें नहीं माना तो अकाउंट डिलीट करना होगा। शर्तें मानना है या नहीं, इस बारे में सोचने के लिए 8 फरवरी तक का वक्त है। दुनियाभर में 200 करोड़ से ज्यादा यूजर्स वॉट्सऐप इस्तेमाल करते हैं। इन शर्तों से जुड़े कई सवाल दिमाग में उठ रहे होंगे। हम ऐसे ही इनके जवाब दे रहे हैं।

1. क्या है वॉट्सऐप की नई पॉलिसी?
वॉट्सऐप पर नए टर्म्स और प्राइवेसी पॉलिसी का अपडेट मिलने लगा है। इसमें लिखा है कि यूजर्स को ये पॉलिसी एग्री करना होगी। ये 8 फरवरी, 2021 से लागू हो रही है। इस तारीख के बाद इसे एग्री करना जरूरी होगी। यदि एग्री नहीं करते हैं तब अकाउंट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इसके लिए आप हेल्प सेंटर पर विजिट कर सकते हैं। अभी पॉलिसी में एग्री और नॉट नाउ का ऑप्शन मिल रहा है।

इसमें लिखा है कि हमारी सर्विसेज को ऑपरेट करने के लिए आप वॉट्सऐप को जो कंटेंट अपलोड, सबमिट, स्टोर, सेंड या रिसीव करते हैं, कंपनी उन्हें कहीं भी यूज, रिप्रोड्यूस, डिस्ट्रीब्यूट और डिस्प्ले कर सकती है।

2. वॉट्सऐप ने ऐसा फैसला क्यों लिया?
इस पॉलिसी को एग्री करने के बाद वॉट्सऐप अपनी 200 करोड़ से ज्यादा यूजर्स का डेटा एक्सेस कर पाएगी। यानी वो उनके डेटा को दूसरे प्लेटफॉर्म पर शेयर भी कर पाएगी। नई पॉलिसी के नोटिफिकेशन में उसने साफ लिखा है कि अब वॉट्सऐप आपकी हर सूचना अपनी पेरेंट कंपनी फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ शेयर करेगा। यानी वॉट्सऐप अपने यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल करके पैसे भी कमा सकती है।

3. पॉलिसी का यूजर पर क्या असर होगा?
ये तय हो चुका है कि आप वॉट्सऐप चलाते हैं तब ये पॉलिसी एग्री करना होगी। यानी न चाहते हुए भी आपको अपने वॉट्सऐप की प्राइवेसी कंपनी के साथ शेयर करना होगी। यानी वॉट्सऐप अब आपके डेटा पर पूरी नजर रखेगी और आपकी प्राइवेसी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। इस बात को ऐसे समझें…

•खर्च से तय होंगे विज्ञापन: वॉट्सऐप आपके बैंक का नाम, कितनी राशि और डिलीवरी का स्थान सभी ट्रैक करेगा। इससे फेसबुक-इंस्टाग्राम भी आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन जान जाएंगे। ट्रांजेक्शन डिटेल से कंपनी आपकी प्रोफाइलिंग करेगी। यानी आप इडली-डोसा खाते हैं तो अमीर आदमी नहीं हैं। स्टारबक्स जाते हैं तो अमीर हैं। फिर आपको महंगी गाड़ियों के विज्ञापन दिखने लगेंगे।

•आईपी एड्रेस और लोकेशन ट्रेस होगी : वॉट्सऐप ने विकल्प दिया है कि यूजर अपनी लोकेशन एक्सेस डिसेबल कर सकते हैं। हालांकि उसने यह भी कहा है कि आईपी एड्रेस और मोबाइल नंबर से अंदाजा लग जाएगा आप कब-कहां जाते हैं।

•स्टेटस भी सुरक्षित नहीं: वॉट्सऐप आपका स्टेटस भी पढ़ेगा। जोखिम यह है यदि आपने लिखा- बताओ कौन सी गाड़ी खरीदूं। तो फेसबुक-इंस्टाग्राम भी इसे पढ़ेंगे और आपको कार, बाइक के विज्ञापन दिखने लगेंगे। ठीक ऐसे ही यदि आपने लिखा- घूमने कहां जाना चाहिए। तब आपके सोशल पेज पर कई टूर से जुड़े विज्ञापन आएंगे।

•कंटेंट पर सजेशन और एनालिसिस मिलेगा: वॉट्सऐप आपको दोस्तों, ग्रुप्स, कंटेंट आदि के सजेशन भी देगा। एक तरह से वॉट्सऐप आपकी हर हरकत पर नजर रखेगा और उसका एनालिसिस करेगा। फेसबुक इसी आधार पर आपको शॉपिंग, प्रोडक्ट के विज्ञापन दिखाएगा।

•कॉल पर भी होगी नजर: कंपनी को पता होगा आप किसे कितने वॉट्सऐप कॉल करते हैं? किस ग्रुप में ज्यादा सक्रिय हैं? ब्रॉडकास्ट लिस्ट कितनी है? फोटो-वीडियो फॉरवर्ड करने पर सर्वर पर अधिक समय स्टोर रहेंगे। उसे पता होगा कौन-सा कंटेंट ज्यादा फॉरवर्ड हो रहा है। फेक न्यूज ट्रैक करने व चुनाव के समय ये जानकारी अहम होगी। बिजनेस अकाउंट से शेयर होने वाले कैटलॉग का एक्सेस भी वॉट्सऐप के पास होगा।

4. क्या पॉलिसी को एक्सेप्ट करना चाहिए?
नई पॉलिसी का यूजर की प्राइवेसी पर गहरा असर होने वाला है। यानी आप जैसे ही कंपनी की नई पॉलिसी को एग्री करते हैं, उसे अपने डेटा का एक्सेस करने के राइट्स भी दे देंगे। समस्या ये है कि वॉट्सऐप चलाना है तब पॉलिसी को एग्री करना जरूरी है। क्योंकि 8 फरवरी के बाद तो पॉलिसी मानना ही पड़ेगी। यदि एग्री नहीं करते तो वॉट्सऐप अकाउंट को डिलीट करना पड़ेगा।

5. कंपनी की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड पॉलिसी का क्या हुआ?
वॉट्सऐप अपनी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड पॉलिसी में इस बात का दावा करती थी कि आपके मैसेज, डेटा उसके पास भी नहीं रहता। 8 फरवरी के बाद ये खत्म हो जाएगी। कंपनी ने अपनी इस पॉलिसी में लिखा था कि आपकी प्राइवेसी और सुरक्षा हमारे लिए सबसे ऊपर है, इसलिए हमने आपके लिए एंड टू एंड एन्क्रिप्शन फीचर तैयार किया है।

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्ट होने से आपके मैसेज, फोटो, वीडियो, वॉइस मैसेज, डॉक्यूमेंट, स्टेटस और कॉल सुरक्षित हो जाते हैं और कोई उनका गलत इस्तेमाल नहीं कर सकता है। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन फीचर से यह पक्का हो जाता है कि मैसेज और कॉल सिर्फ आपके और आपके कॉन्टैक्ट के बीच ही रहें। कोई और, यहां तक कि वॉट्सऐप भी उन्हें पढ़, सुन और देख न पाए।

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जल-थल-नभ में शूटिंग के लिए  वी एम लोकेशंस की कामयाब जद्दोजहद !

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जल-थल-नभ … शूटिंग तो कहीं भी करने की स्टोरी डिमांड हो सकती है। ऐसे में शांतिपूर्ण ढंग से पूरी ऊर्जा के साथ शूटिंग कराने के लिए टीवी सीरियल, वेब सीरीज़ या फ़िल्म का मेकर यही चाहेगा कि स्टोरी की मांग के अनुसार खूबसूरत व जरूरी लोकेशन तक कोई शख्स उसे न सिर्फ पहुंचाए बल्कि बिना व्यत्यय, बिना विघ्न के आराम से वह उसकी शूटिंग पूरी भी करा सके। अब ऐसे में आवश्यकता होती है उस लोकेशन मैनेजर व लाइन प्रोड्यूसर की जो उसकी शूटिंग का संकटमोचक बनकर शुरू से अंत तक न सिर्फ खड़ा रहेगा बल्कि अगर कोई परेशानी आ भी जाती है तो उसके लिए विघ्नों का पूरा सामना करते हुए उसकी शूटिंग पूरी कराने की क़ूवत रखता हो। 150-200 लोगों की कास्ट व क्रू की यूनिट का वह कवच-कुंडल बना रहे। कुछ ऐसी ही सेवाएं बॉलीवुड की दुनिया को दे रहे हैं वी एम लोकेशन्स के सीईओ लाइन प्रोड्यूसर व लोकेशंस के किंग विनय मिश्रा। जिनका नाम इस क्षेत्र में आज बॉलीवुड का अनुभवी व भरोसेमंद शख्सियत

के रूप में लिया जाता है। एक ऐसा शख्स जिसके लोकेशनों व उनकी टीम की जिम्मेदारी से परिपूर्ण प्रोफेशनल सर्विस ने बॉलीवुड की अकीरा, कमांडो 3, हेट स्टोरी, सनम रे सहित कई दर्जन फिल्मों, कई दर्जन सीरियलों व वेब सीरीज़ की शूटिंग को एक दिशा व जगह दी। निर्विघ्न शूटिंग पूरी कराकर सिद्ध किया कि अनुभव व मजबूत टीम ज्यादा भरोसेमंद भी होती है और उपयोगी भी। प्रस्तुत है वी एम लोकेशंस के मालिक विनय मिश्रा से हुई लम्बी बातचीत के प्रमुख अंश…

* सबसे पहले अपने बारे में हमारे रीडर्स को  कुछ बताएं ?

– उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिलान्तर्गत केराकत का मूल निवासी हूँ। शिक्षा-दीक्षा के उपरान्त पहले कोलकाता का रुख किया था। वहां  20-25 बाड़ी का काम देख रहा था। आय अच्छी थी , बावजूद इसके उस काम मे मन नहीं लग रहा था। बार-बार  लगता था कि कोलकाता की बजाय अगर  मुम्बई जाता हूँ तो सपनों की उड़ान को पंख मिलेगा, मेरा देखा स्वप्न

साकार होने में मदद मिलेगी। पहले से ही बॉलीवुड में विशेष रुचि थी। फिर एक दिन कोलकाता को आखिरी प्रणाम करके मुम्बई आ गया। यहां शुरुवात में एक बड़े व बेहद नामचीन बिल्डर के यहां फ्लैट-शॉप्स को सेल करने का काम शुरू कर दिया। पर उस बिल्डर से नहीं जमीं। मैंने वो काम छोड़ दिया व तय कर लिया कि अब कुछ ऐसा काम करूँगा जो औरों से हटकर भी हो और जो मेरे सपनों को भी पूरा करे।

* यानि कि बॉलीवुड ने अपनी ओर आकर्षित कर ही लिया ?
– हाँ, मेरे एक मित्र ने 2009 में मुझे एक प्रोड्यूसर से मिलवाया और फिर उनके संग मैंने प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में काम शुरू कर दिया। टी वी सीरियल बड़की मलकाइन से टीवी की दुनिया में आया था। इस सीरियल के बाद सहारा 1 की सीरियल पिया का घर के प्रोडक्शन का काम सम्भाला। इसके तुरंत एक फ़िल्म मिली – जयंती भाई की लव स्टोरी। इसके बाद तो  काम चल निकला था। कभी लोकेशन मैनेजर तो कभी लाइन प्रोड्यूसर के रूप में बॉलीवुड को अपनी सेवाएं देता रहा।
* आपकी अन्य फिल्में, वेब सीरीज़ और धारावाहिक कौन से हैं जिनके लोकेशन्स की जिम्मेदारी आपने व आपकी टीम ने संभाली ?

– प्रोडक्शन के काम से मैंने कैरियर की शुरुवात की थी। जयंता भाई की लव स्टोरी, एक विलेन, हॉफ गर्लफ्रेंड, रंगरेज़ जैसे क्रिएशन से जुड़ा रहा। अकीरा, सनम रे, हेट स्टोरी, मरजावां,  पागलपंथी व खुदा हाफ़िज़ जैसी बड़े बजट की फिल्मों को हमने न सिर्फ अपनी सेवाएं दीं बल्कि बॉलीवुड में अपने लिए एक खास मकाम भी बना लिया। मुझे लोकेशन किंग कहा जाने लगा। दर्जनों फिल्मों और अनगिनत वेब सीरीज़ तथा शार्ट फिल्मों को हमने अपनी सेवाएं दीं हैं। बी एम लोकेशन के नाम से मैंने अपनी कम्पनी शुरू की थी जो इस समय दर्जनों फिल्मों व वेब सीरीज़ के लिए लोकेशन के लिए अपनी सेवाएं दे रही है। जमीन पर उत्कृष्ट लोकेशनों के लिए प्रतिबद्ध व बेहद सफल मेरी वी एम लोकेशंस कम्पनी आसमान में भी ग्राफ खींचने की दिशा में पूरा फोकस कर चुकी है। शूटिंग के लिए हेलीकॉप्टर और जहाज उपलब्ध कराने की दिशा में हमने गत 5 वर्षों से सफलतापूर्वक कार्य किया ही है। जल्द ही पवन हंस पर एक बड़े बजट की फ़िल्म के लिए एक बार फिर हेलीकॉप्टर में शूटिंग कराने के लिए हम तैयारी कर रहे हैं। हाँ एक खास बात और कहूंगा कि वेब सीरीज़ बॉम्बे डायरी आपलोग अवश्य देखिएगा। जो काम यहां पर मेरी लोकेशनों पर हुआ है वह हॉलीवुड को भी चौंका देगा।
* शूटिंग के लिए प्लेन और हेलीकॉप्टर जैसी सुविधाएं भी आपकी कम्पनी ने मुहैया कराई ?
– हाँ जी अमित जी बिल्कुल… इन फैक्ट प्लेन और हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिये हमारी विशेष मास्टरी है। हमने अनगिनत काम यहां इसप्रकार का किया है। बॉलीवुड में युआरे के लिए प्लेन तो सीरियल इश्कबाज़, वेब सीरीज़ सेक्रेड गेम, फ़िल्म कमांडो 3, सीरियल संजीवनी इन सभी के लिए हेलीकॉप्टर व लोकेशनों के अलावा हॉलीवुड के ऑस्कर प्राप्त डायरेक्टर की फ़िल्म टैनेट – मेरी गो अराउंड के लिए भी मैंने हेलिकॉप्टर व लोकेशन जैसे सेवाएं दीं हैं।जल-थल-नभ में शूटिंग के लिए  वी एम लोकेशंस की कामयाब जद्दोजहद रही है और हमेशा हम सक्सेस भी रहे !

* क्या है ये लोकेशन की दुनिया , दर्शकों को इस बारे में अधिक नहीं पता है ?
– अस्पताल का शूट हो या किसी स्विमिंग पूल का, बंगला हो या फ्लैट अथवा झोपड़ा हो , फाइव स्टार होटल जैसी जगह , तबेला किला , भूत बंगला या गोडाउन में शूट करना हो अथवा नदी, टापू, बग़ीचा,पहाड़ , मैदान अथवा सड़क पर शूट हो । इसी तरह आसमां में प्लेन या हेलीकॉप्टर का शूट हो अथवा समन्दर में किसी क्रूज़ या बोट में शूटिंग हो, बिना लोकेशंस वालों के ये शूटिंग सम्भव नहीं है।
*  काम का जिम्मेदारियां व दिक्कतों पर भी विस्तार से बताएं ।
– कहने के लिए तो बॉलीवुड में तमाम लोग होंगे जो ऐसी सेवाएं देने के प्रयास में होंगे। पर अनुभव, कॉंटेक्ट्स, लो रेट में भी शानदार काम का जादू कैसे चला पाएंगे। रही बात जिम्मेदारियों व दिक्कतों की तो  हर आउटडोर शूटिंग के लिए बी एम सी, ट्रैफिक, पुलिस में अनेकों तरह का परमिशन निकालना, इसके बाद अगर छुटभैये नेता या लोकल गुंडों का सिरदर्द आये तो वह भी फेस करना इसी काम का हिस्सा है।
* क्या आप महत्वाकांक्षी हैं ?
– हांजी बिल्कुल, सफलता कौन नहीं चाहता। हर कोई महत्वाकांक्षी होता है। होना भी चाहिए। पर महत्वाकांक्षी होने के साथ-साथ संघर्षशील औऱ मेरी तरह कर्म वे विश्वास रखने वाला हो तो सोने पर सुहागा।

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