कार्तिक मास के समान कोई भी मास नहीं है। स्कंद पुराण और पद्मपुराणमें वर्णित है

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🔔कार्तिक मास के समान कोई भी मास नहीं है। स्कंद पुराण और पद्मपुराणमें वर्णित है कि यह मास धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष को देने वाला है। विशेष रूप से स्नान दान, एवं तुलसी की पूजा इस मास में विशेष फलदायी है।

🔔कार्तिक मास में दीपदान करने से पाप नष्ट होते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित है कि इस मास में जो व्यक्ति देवालय, नदी के किनारे, तुलसी के समक्ष एवं शयन कक्ष में दीपक जलाता है उसे सर्व सुख प्राप्त होते हैं। इस मास में भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी के निकट दीपक जलाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं। इस मास में की गई भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी की उपासना असीमित फलदायीहोती है।

🔔तुलसी हमारी आस्था एवं श्रद्धा की प्रतीक है एवं अपरिमित औषधीय गुणों से युक्त भी। वर्ष भर तुलसी में जल अर्पित करना एवं सायंकाल तुलसी के नीचे दीप जलाना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। कार्तिक मास में तुलसी के समीप दीपक जलाने से मनुष्य अनंत पुण्य का भागी बनता है। इस मास में तुलसी के समीप दीपक जलाने से व्यक्ति को साक्षात लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि तुलसी में साक्षात लक्ष्मी का निवास माना गया है।

🔔🔔जो व्यक्ति यह चाहता है कि उसके घर में सदैव शुभ कर्म हो, सदैव सुख शान्ति का निवास रहे उसे तुलसी की आराधना अवश्य करनी चाहिए। कहते हैं कि जिस घर में शुभ कर्म होते हैं वहां तुलसी हरी भरी रहती हैं एवं जहां अशुभ कर्म होते हैं वहां तुलसी कभी भी हरी भरी नहीं रहतीं।

🔔पौराणिक कथा के अनुसार गुणवती नामक स्त्री ने कार्तिक मास में मंदिर के द्वार पर तुलसी की एक सुन्दर सी वाटिका लगाई उस पुण्य के कारण वह अगले जन्म में सत्यभामा बनी और सदैव कार्तिक मास का व्रत करने के कारण वह भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बनी। यह है कार्तिक मास में तुलसी आराधना का फल। इस मास में तुलसी विवाह की भी परंपरा है जो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इसमें तुलसी के पौधे को सजाया संवारा जाता है एवं भगवान शालग्राम का पूजन किया जाता है। तुलसी का विधिवत विवाह किया जाता है।

🔔आइए मासोंमें श्रेष्ठ कार्तिक मास में श्रेष्ठ कर्म करें। स्नान, ध्यान, दान करते हुए, तुलसी आराधना करते हुए अनन्य पुण्य के भागी बनें। यही है इस मास की श्रेष्ठता का रहस्य।

🙌🏻🙌🏻जय जय श्री राधे🙌🏻

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