SPIRITUAL
गुरुराबरा गुरुुरविष्णु: गुरुद्वेव महेश्वर:। गुरु संक्रित पराब्रह्मा तसम श्री गुरुदेव नमः काल भैरव

*‼गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥
‼*
*इस संसार में ऐसा कोई भी कार्य/ज्ञान नही है जिसे बिना गुरु के प्राप्त किया जा सके।प्रथम गुरु ‘माँ’ के पश्चात समस्त शिक्षा कहीँ न कहीँ हम अपने गुरुवों से ही प्राप्त करते हैं।*
*गुरु शब्द को शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक।*
*गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है क्योंकि अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।*
*वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने ‘गुरु’ शब्द का अर्थ – प्रथम अक्षर ‘गु का अर्थ- ‘अंधकार’ होता है जबकि दूसरे अक्षर ‘रु’ का अर्थ- ‘उसको हटाने वाला’ होता है।*
*अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है। गुरु वह है जो अज्ञान का निराकरण करता है अथवा गुरु वह है जो धर्म का मार्ग दिखाता है। श्री सद्गुरु आत्म-ज्योति पर पड़े हुए विधान को हटा देता है।*
*गोस्वामी तुलसीदास महाराज जी ने भी लिखा है कि*
*”गुरुबिन भवनिधि तरहिं न कोई।*
*जो विरंचि शंकर सम होइ।*
*अर्थात बिना सद्गुरु के इस संसार से मुक्ति नही मिल सकती है,चाहे आदिदेव महादेव के ही समतुल्य क्यों न हो?*
*आगे फिर संत शिरोमणि लिखते हैं कि*
*”बन्दउँ गुरू पद कँज, कृपा सिन्धु नर रूप हरी।*
*महामोह तम पुञ्ज,जासु वचन रविकर निकर॥*
*गोस्वामी तुलसी दास जी कहते हैं कि मैं श्री सद्गुरूदेव जी के श्री चरण कमलों की वँदना करता हूँ जो कृपा के सागर और नर रुप में नारायण हैं,जिनके वचन रुपी सूर्य से महामोह रुप अहँकार/अंधकार का विनाश हो जाता है।*
*संतजन कहते हैं-*
*राम कृष्ण सबसे बड़ा उनहूँ तो गुरु कीन्ह।*
*तीन लोक के वे धनी जो गुरु आज्ञा आधीन॥*
*गुरु तत्व की प्रशंसा तो सभी शास्त्रों ने की है। ईश्वर के अस्तित्व में मतभेद हो सकता है, किन्तु गुरु के लिए कोई मतभेद आज तक उत्पन्न नहीं हो सका। गुरु को सभी ने माना है। प्रत्येक गुरु ने दूसरे गुरुओं को आदर-प्रशंसा एवं पूजा सहित पूर्ण सम्मान दिया है। भारत के बहुत से संप्रदाय तो केवल गुरुवाणी के आधार पर ही कायम हैं।*
*संत कबीर कहते हैं-‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर।*
*अर्थात भगवान के रूठने पर तो गुरू की शरण रक्षा कर सकती है किंतु गुरू के रूठने पर कहीं भी शरण मिलना सम्भव नहीं है। जिसे ब्राह्मणों ने आचार्य, बौद्धों ने कल्याणमित्र, जैनों ने तीर्थंकर और मुनि, नाथों तथा वैष्णव संतों और बौद्ध सिद्धों ने उपास्य सद्गुरु कहा है उस श्री गुरू से उपनिषद् की तीनों अग्नियाँ भी थर-थर काँपती हैं। त्रोलोक्यपति भी गुरू का गुणनान करते है। ऐसे गुरू के रूठने पर कहीं भी ठौर नहीं। अपने दूसरे दोहे में कबीरदास जी कहते है-*
*सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार, लोचन अनंत, अनंत दिखावण हार।*
*अर्थात सद्गुरु की महिमा अपरंपार है। उन्होंने शिष्य पर अनंत उपकार किए है। उसने विषय-वासनाओं से बंद शिष्य की बंद ऑखों को ज्ञानचक्षु द्वारा खोलकर उसे शांत ही नहीं अपितु अनंत तत्व ब्रह्म का दर्शन भी कराया है।*
Ayodhya
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।
कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इसकी जानकारी दी है।
Ayodhya
स्वर्ण कपाटों से सज गया राम मंदिर, पहली तस्वीर आई सामने; 15 जनवरी तक पूरा हो जाएगा ये काम

स्वर्ण कपाटों से सज गया राम मंदिर, पहली तस्वीर आई सामने; 15 जनवरी तक पूरा हो जाएगा ये काम
गर्भगृह के बांयी ओर व परकोटे के बगल में कुल मिलाकर दो कपाट लगाए गए। एक सप्ताह के भीतर भूतल के सभी 14 स्वर्ण जड़ित कपाट लगा दिए जाएंगे। 15 जनवरी तक हरहाल में भूतल की तैयारी को अंतिम स्पर्श दिया जाना है। राम मंदिर के तीनों तल को मिलाकर कुल 44 कपाट लगाए जाने हैं। इसमें भूतल पर 18 कपाट हैं लेकिन 14 कपाट स्वर्ण मंडित होंगे।
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी के बीच मंगलवार को बहुप्रतिक्षित पल आ गया और मंदिर के भूतल में स्वर्ण मंडित कपाट लगाने का क्रम प्रारंभ हो गया। शाम तक दो कपाट लगाए जा सके हैं। हालांकि अभी गर्भगृह के मुख्य द्वार पर स्वर्ण मंडित कपाट नहीं लगाया जा सका।
गर्भगृह के बांयी ओर व परकोटे के बगल में कुल मिलाकर दो कपाट लगाए गए। एक सप्ताह के भीतर भूतल के सभी 14 स्वर्ण जड़ित कपाट लगा दिए जाएंगे। 15 जनवरी तक हरहाल में भूतल की तैयारी को अंतिम स्पर्श दिया जाना है।
राम मंदिर के तीनों तल को मिलाकर कुल 44 कपाट लगाए जाने हैं। इसमें भूतल पर 18 कपाट हैं, लेकिन 14 कपाट स्वर्ण मंडित होंगे। महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ी से ये कपाट तैयार किए गए।
बाद में इन पर चढाने के लिए सोने की पत्तल तैयार की गई। कारीगरों का कहना है कि एक सप्ताह के भीतर कपाट लगा दिया जाएगा। एलएंडटी के निदेशक बीके मेहता ने बताया कि स्वर्ण मंडित कपाट लगाना शुरू हो गया है।
Ayodhya
मंदिर के गर्भगृह में बालस्वरूप में विराजेंगे रामलला,

Ayodhya Ram Mandir: मंदिर के गर्भगृह में बालस्वरूप में विराजेंगे रामलला, जानिए उनकी पुरानी मूर्ति का क्या होगा
22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा। राम मंदिर में रामलला की नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि राम मंदिर में विराजमान होने वाली भगवान राम की नई मूर्ति दुनिया की सबसे अनोखी मूर्ति होगी।22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा, जिसको लेकर अभी से तैयारियां जोरों पर हैं। सिर्फ अयोध्या ही नहीं पूरे देश में इसका अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। राम भक्तों के लिए यह बेहद ही खुशी का अवसर बनने जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई दिग्गज नेता, अभिनेता, कलाकार व उद्योगपतियों को न्योता भेजा जा रहा है। पूरे अयोध्या को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है। वहीं राम मंदिर में रामलला की नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि राम मंदिर में विराजमान होने वाली भगवान राम की नई मूर्ति दुनिया की सबसे अनोखी मूर्ति होगी। ऐसे में चलिए जानते हैं कि रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा.रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा ?
मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई मूर्ति के साथ ही पुरानी मूर्ति को भी प्रतिष्ठित करने की योजना है। जानकारी के अनुसार नई मूर्ति को अचल मूर्ति कहा जाएगा, जबकि पुरानी मूर्ति उत्सव मूर्ति के तौर पर जानी जाएगी। साथ ही कहा जा रहा है कि बाद में उत्सवमूर्ति को श्रीराम से जुड़े सभी उत्सवों में विराजमान किया जाएगा। वहीं नई मूर्ति गर्भ गृह में भक्तों के दर्शन के लिए विराजमान रहेगी।
कैसी होगी रामलला की नई मूर्ति ?
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी मूर्ति स्थापित की जाएगी, जिसमें रामलला बाल स्वरूप में होंगे। मूर्ति में रामलला को खड़े हुए दिखाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फीट होगी।
त्रेतायुग थीम से सज रही है अयोध्या नगरी
त्रेतायुग में श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के घर ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ था। श्रीराम भगवान विष्णु जी के अवतार थे। इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। ऐसे में पूरे अयोध्या को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है। सड़कों के किनारे सूर्य स्तंभ लगाए जा रहे हैं, जो भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाते हैं।
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