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SPIRITUAL

मनसा देवी मंदिर हिंदुओं के बीच एक वांछित तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मनसा देवीशक्ति की देवी , आरती

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पंचकूला में मनसा देवी मंदिर हिंदुओं के बीच एक वांछित तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मनसा देवी अथवा शक्ति को समर्पित है। 100 एकड़ से अधिक भूमि में हुआ यह मंदिर शिवालिक पहाडि़यों की तलहटी में स्थित है। नवरात्रों में लगने वाले मेले में देशभर से भक्त इस मंदिर में आते हैं।

 

यह मंदिर 1811-1815 के दौरान महाराज गोला सिंह के द्वारा बनवाया गया था। यह हिमालयी आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। हिमालय को शिव और शक्ति का निवास स्थान माना जाता है। इस मंदिर के अलावा पंचकूला में अनेक अन्य मंदिर हैं जहाँ शक्ति की पूजा की जाती है।

इस क्षेत्र से पुरातात्विक खंडहर मिले हैं जो पुराने समय में यहाँ के लोगों की पारंपरिक संस्कृति पर केंद्रित हैं। शक्तिवाद एक पंथ है जो भारत के इस भाग में बहुत प्रचलित है। अपने नाम के अनुरूप वरदान देने वाली देवी के रूप में मनसा देवी भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

इस मंदिर में नवरात्रि पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है जब भक्त अपनी प्रार्थना करने के लिए यहाँ आते हैं। हरियाणा पर्यटन द्वारा जटायू नामक यात्रिका की व्यवस्था की गई है। शरदिय नवरात्रि मेला आश्वन और चैत्र महीनों में लगता है।

नवरात्रि के दौरान मंदिर के ट्रस्ट के द्वारा आवास और दर्शन की उचित व्यवस्था की जाती है। तम्बू के आवास, दरी, कंबल, अस्थायी शौचालय, अस्थायी डिस्पेंसरी, मेला पुलिस चैकी और लाइनें साल के इस समय उपलब्ध होने वाली कुछ संविधाएं हैं। भक्तों के आने-जाने की व्यवस्था के लिए सख़्त कदम उठाए जाते हैं।

इसके पुरातात्विक और पौराणिक महत्व के कारण तथा अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए आने वाले भक्तों के लिए हरियाणा सरकार ने इस मंदिर के बुनियादी ढांचे, प्रबंधन और प्रशासन में सुधार के लिए प्रयास किए हैं। आसपास की भूमि और इमारतों की देखरेख भी की जाती है। यह जगह विरासत स्थल के रूप में संरक्षित है।

मंदिर की दीवारों को भित्तिचित्रों के 38 पैनलों से सजाया गया है। मेहराब और छत फूलों क चित्रों से सजी हुई हैं। हालांकि, ये बहुत कलात्मक नहीं हैं लेकिन फिर भी विभिन्न विषयों को दर्शाती हैं। मुख्य मंदिर की वास्तुकला गुंबदों और मीनारों के साथ मुग़ल वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है।

यह मंदिर चंडीगढ़ से 10कि.मी. और पंचकूला से 4कि.मी. दूर है। स्थानीय बसें और आटो रिक्शा परिवहन के साधन के रूप में आसानी से उपलब्ध होती हैं। नवरात्रि के दौरान विशेष बसें चलाई जाती हैं। हवाईमार्ग तथा रेलमार्ग से आने पर चंडीगढ़ गंतव्य स्थान है।

मनसा देवी मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो शक्ति की देवी मानी जाती हैं।

Mata Mansa Devi is a Hindu temple dedicated to goddess Mansa Devi, a form of Shakti, in the Panchkula district of Haryana state in India.

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Ayodhya

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

 

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।

कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इसकी जानकारी दी है।

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Ayodhya

स्वर्ण कपाटों से सज गया राम मंदिर, पहली तस्वीर आई सामने; 15 जनवरी तक पूरा हो जाएगा ये काम

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स्वर्ण कपाटों से सज गया राम मंदिर, पहली तस्वीर आई सामने; 15 जनवरी तक पूरा हो जाएगा ये काम

गर्भगृह के बांयी ओर व परकोटे के बगल में कुल मिलाकर दो कपाट लगाए गए। एक सप्ताह के भीतर भूतल के सभी 14 स्वर्ण जड़ित कपाट लगा दिए जाएंगे। 15 जनवरी तक हरहाल में भूतल की तैयारी को अंतिम स्पर्श दिया जाना है। राम मंदिर के तीनों तल को मिलाकर कुल 44 कपाट लगाए जाने हैं। इसमें भूतल पर 18 कपाट हैं लेकिन 14 कपाट स्वर्ण मंडित होंगे।

रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी के बीच मंगलवार को बहुप्रतिक्षित पल आ गया और मंदिर के भूतल में स्वर्ण मंडित कपाट लगाने का क्रम प्रारंभ हो गया। शाम तक दो कपाट लगाए जा सके हैं। हालांकि अभी गर्भगृह के मुख्य द्वार पर स्वर्ण मंडित कपाट नहीं लगाया जा सका।

गर्भगृह के बांयी ओर व परकोटे के बगल में कुल मिलाकर दो कपाट लगाए गए। एक सप्ताह के भीतर भूतल के सभी 14 स्वर्ण जड़ित कपाट लगा दिए जाएंगे। 15 जनवरी तक हरहाल में भूतल की तैयारी को अंतिम स्पर्श दिया जाना है।

राम मंदिर के तीनों तल को मिलाकर कुल 44 कपाट लगाए जाने हैं। इसमें भूतल पर 18 कपाट हैं, लेकिन 14 कपाट स्वर्ण मंडित होंगे। महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ी से ये कपाट तैयार किए गए।

बाद में इन पर चढाने के लिए सोने की पत्तल तैयार की गई। कारीगरों का कहना है कि एक सप्ताह के भीतर कपाट लगा दिया जाएगा। एलएंडटी के निदेशक बीके मेहता ने बताया कि स्वर्ण मंडित कपाट लगाना शुरू हो गया है।

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Ayodhya

मंदिर के गर्भगृह में बालस्वरूप में विराजेंगे रामलला,

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Ayodhya Ram Mandir: मंदिर के गर्भगृह में बालस्वरूप में विराजेंगे रामलला, जानिए उनकी पुरानी मूर्ति का क्या होगा

22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा। राम मंदिर में रामलला की नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि राम मंदिर में विराजमान होने वाली भगवान राम की नई मूर्ति दुनिया की सबसे अनोखी मूर्ति होगी।22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा, जिसको लेकर अभी से तैयारियां जोरों पर हैं। सिर्फ अयोध्या ही नहीं पूरे देश में इसका अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। राम भक्तों के लिए यह बेहद ही खुशी का अवसर बनने जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई दिग्गज नेता, अभिनेता, कलाकार व उद्योगपतियों को न्योता भेजा जा रहा है। पूरे अयोध्या को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है। वहीं राम मंदिर में रामलला की नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि राम मंदिर में विराजमान होने वाली भगवान राम की नई मूर्ति दुनिया की सबसे अनोखी मूर्ति होगी। ऐसे में चलिए जानते हैं कि रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा.रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा ?
मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई मूर्ति के साथ ही पुरानी मूर्ति को भी प्रतिष्ठित करने की योजना है। जानकारी के अनुसार नई मूर्ति को अचल मूर्ति कहा जाएगा, जबकि पुरानी मूर्ति उत्सव मूर्ति के तौर पर जानी जाएगी। साथ ही कहा जा रहा है कि बाद में उत्सवमूर्ति को श्रीराम से जुड़े सभी उत्सवों में विराजमान किया जाएगा। वहीं नई मूर्ति गर्भ गृह में भक्तों के दर्शन के लिए विराजमान रहेगी।

कैसी होगी रामलला की नई मूर्ति ?
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी मूर्ति स्थापित की जाएगी, जिसमें रामलला बाल स्वरूप में होंगे। मूर्ति में रामलला को खड़े हुए दिखाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फीट होगी।

त्रेतायुग थीम से सज रही है अयोध्या नगरी
त्रेतायुग में श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के घर ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ था। श्रीराम भगवान विष्णु जी के अवतार थे। इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। ऐसे में पूरे अयोध्या को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है। सड़कों के किनारे सूर्य स्तंभ लगाए जा रहे हैं, जो भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाते हैं।

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