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“ नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते | स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात् |

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श्रीमद् भगवद गीता – 2.40

“ नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते |
स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात् || ४० || ”

अनुवाद

इस प्रयास में न तो हानि होती है न ही ह्रास अपितु इस पथ पर की गई अल्प प्रगति भी महान भय से रक्षा कर सकती है |

तात्पर्य

कर्म का सर्वोच्च दिव्य गुण है, कृष्णभावनामृत में कर्म या इन्द्रियतृप्ति की आशा न करके कृष्ण के हित में कर्म करना | ऐसे कर्म का लघु आरम्भ होने पर भी कोई बाधा नहीं आती है, न कभी इस आरम्भ का विनाश होता है | भौतिक स्तर पर प्रारम्भ किये जाने वाले किसी भी कार्य को पूरा करना होता है अन्यथा सारा प्रयास निष्फल हो जाता है | किन्तु कृष्णभावनामृत में प्रारम्भ किया जाने वाला कोई भी कार्य अधूरा रह कर भी स्थायी प्रभाव डालता है | अतः ऐसे कर्म करने वाले को कोई हानि नहीं होती, चाहे यह कर्म अधूरा ही क्यों न रह जाय | यदि कृष्णभावनामृत का एक प्रतिशत भी कार्य पूरा हुआ हो तो उसका स्थायी फल होता है, अतः अगली बार दो प्रतिशत से शुभारम्भ होगा, किन्तु भौतिक कर्म में जब तक शत प्रतिशत सफलता प्राप्त न हो तब तक कोई लाभ नहीं होता | अजामिल ने कृष्णभावनामृत में अपने कर्तव्य का कुछ ही प्रतिशत पूरा किया था, किन्तु भगवान् की कृपा से उसे शत प्रतिशत लाभ मिला | इस सम्बन्ध में श्रीमद्भागवत में (१.५.१७) एक अत्यन्त सुन्दर श्लोक आया है –

त्यक्त्वा स्वधर्मं चरणाम्बुजं हरेर्भजन्नपक्कोऽथ पतेत्ततो यदि |
यत्र क्क वाभद्रमभूदमुष्यं किं को वार्थ आप्तोऽभजतां स्वधर्मतः ||

“यदि कोई अपना धर्म छोड़कर कृष्णभावनामृत में काम करता है और फिर काम पूरा न होने के कारण नीचे गिर जाता है तो इसमें उसको क्या हानि? और यदि कोई अपने भौतिक कार्यों को पूरा करता है तो इससे उसको क्या लाभ होगा? अथवा जैसा कि ईसाई कहते हैं “यदि कोई अपनी शाश्र्वत आत्मा को खोकर सम्पूर्ण जगत् को पा ले तो मनुष्य को इससे क्या लाभ होगा?”

भौतिक कार्य तथा उनके फल शरीर के साथ ही समाप्त हो जाते हैं, किन्तु कृष्णभावनामृत में किया गया कार्य मनुष्य को इस शरीर के विनष्ट होने पर भी पुनः कृष्णभावनामृत तक ले जाता है | कम से कम इतना तो निश्चित है कि अगले जन्म में उसे सुसंस्कृत ब्राह्मण परिवार में या धनीमानी कुल में मनुष्य का शरीर प्राप्त हो सकेगा जिससे उसे भविष्य में ऊपर उठने का अवसर प्राप्त हो सकेगा | कृष्णभावनामृत में सम्पन्न कार्य का यही अनुपम गुण है |

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Ayodhya

अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर

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अगले 48 घंटों में गिरेगा दो से तीन डिग्री पारा, उत्तर भारत में धूप के बाद भी चलेगी शीतलहर

मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल कहते हैं कि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अभी शीत लहर की आशंका जताई जा रही है। हालांकि इसमें पूरा उत्तर भारत नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं। मौसम विभाग का मानना है कि ठंडी हवाओं के चलते गलन भी बढ़ेगी और अधिकतम तापमान में भी गिरावट दर्ज हो सकती है…

अगले 48 घंटे में उत्तर भारत के सभी इलाकों में न्यूनतम पारा दो से तीन डिग्री के करीब और नीचे गिर जाएगा। जबकि दिल्ली और एनसीआर समेत कुछ हिस्सों में गुरुवार और शुक्रवार को धूप तो निकलेगी, लेकिन गलन वाली ठंड में कोई कमी नहीं होगी। अगले 48 घंटे के भीतर बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मौसम में इस तरीके की तब्दीलियां देखी जा सकती हैं। वहीं कोहरे को लेकर विभाग का अनुमान है कि पिछले हफ्ते की तरह ही इस बार भी लगातार कोहरा पड़ता रहेगा।

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Ayodhya

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

 

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।

कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इसकी जानकारी दी है।

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Election

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे एकनाथ शिंदे, स्पीकर ने खारिज की विधायकों की अयोग्यता की याचिका

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे एकनाथ शिंदे, स्पीकर ने खारिज की विधायकों की अयोग्यता की याचिका

महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज का दिन बड़ा अहम रहा।  महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में 1200 पन्नों का फैसला सुनाया। विधानसभा स्पीकर ने अपने फैसले में शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना। साथ ही 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी। फैसले के अहम बिंदुओं को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि जब पार्टी में बंटवारा हुआ था, तब शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का समर्थन था। ऐसे में उनके नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने भी इसे मान्य करार दिया था।

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