ट्रेन पर सवार होने के बाद गायब हो गए थे नेताजी अब ऐतिहासिक ट्रेन का नाम होगा ‘नेताजी एक्‍सप्रेस’

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इंडियन रेलवे खास अंदाज में दे रहा सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि, अब इस ऐतिहासिक ट्रेन का नाम होगा ‘नेताजी एक्‍सप्रेस’

भारतीय रेलवे (Indian Railways) महान स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की 125वीं जयंती के मौके पर अपने ही अंदाज में उन्‍हें श्रद्धांजलि दे रहा है. रेलवे ने ऐलान किया है कि ऐतिहासिक हावड़ा-कालका मेल (Hawrah-Kalka Mail) का नाम बदलकर ‘नेताजी एक्‍सप्रेस’ (Netaji Express) किया जा रहा है. हावड़ा-कालका मेल भारतीय रेलवे नेटवर्क की उन सबसे पुरानी ट्रेनों (Oldest Train) में एक है, जो अभी भी पटरियों पर दौड़ रही है. ये ट्रेन पहली बार 1866 में चली थी यानी ये रेलगाड़ी 150 साल से देश की सेवा कर रही है.

रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने ट्वीट किया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत को स्वतंत्रता और विकास के एक्सप्रेस-वे पर आगे बढ़ाया था. मैं उनकी जयंती पर ‘नेताजी एक्सप्रेस’ की शुरुआत से काफी रोमांचित हूं. इंडियन रेलवे ने ट्वीट किया कि भारतीय रेलवे को 12311/12312 हावड़ा-कालका एक्‍सप्रेस का नाम बदलकर नेजाती एक्‍सप्रेस करने में खुशी हो रही है. नेताजी अपने पराक्रम से देश को स्‍वतंत्रता और विकास के एक्‍सप्रेस रूट पर ले गए. बता दें कि कालका मेल का शुरुआती नाम 63 अप हावड़ा पेशावर एक्सप्रेस था.

नेताजी इसी ट्रेन पर सवार होने के बाद गायब हो गए थे 
नेताजी 18 जनवरी 1941 को यानी 80 साल पहले ब्रिटिश अधिकारियों को चकमा देकर इसी ट्रेन से धनबाद जिले के गोमो जंक्शन से सवार होकर निकले थे. इसके बाद वह गायब हो गए और किसी के हाथ नहीं आए. नेताजी की यादों से जुड़ी होने के कारण रेलवे ने कालका मेल का नाम नेताजी एक्सप्रेस किया है. बता दें कि इससे पहले पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 23 जनवरी 2009 को धनबाद जिले के गोमो जंक्शन का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो किया था. ये ट्रेन फिलहाल 02311 और 02312 स्‍पेशल ट्रेन के नाम से चल रही है. ब्रिटिश अधिकारी शिमला जाने के लिए इसी ट्रेन का इस्‍तेमाल करते थे. तब शिमला गर्मियों में देश की राजधानी होता था

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