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high-speed bandwidth in rural areas ISRO to launch three satellites

satellites to provide high-speed bandwidth connectivity to rural areas as part of the government’s Digital India programme, an official said on 16 September. Indian Space Research Organisation (ISRO) will launch three more satellites successful launch of two UK satellites by Indian rocket Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) here on 16 September,
ISRO Chairman K. Sivan “The ISRO will launch three more satellites, which together will provide international level bandwidth speed.”
The two satellites belonged to Surrey Satellite Technologies Ltd (SSTL), UK.India on the night of 16 September successfully put into orbit British earth observation satellites NovaSAR and S1-4 in copybook style.According to S. Rakesh, Chairman-cum-Managing Director, Antrix Corporation Ltd, the revenue from the launch of two UK satellites is over Rs 220 crore.
Next PSLV rocket will carry 30 small satellites from third parties apart from carrying an Indian satellite.
Ayodhya
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगी सोनिया गांधी, खरगे-अधीर ने भी किया किनारा
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।
कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इसकी जानकारी दी है।
Bihar
सूर्य मिशन-आदित्य एल1 लैग्रेंज प्वाइंट में एंटर

सूर्य मिशन-आदित्य एल1 लैग्रेंज प्वाइंट में एंटर
Aditya-L1: आदित्य एल1 ने दी सूरज के दरवाजे पर दस्तक, ISRO के इतिहास रचने पर पीएम मोदी ने दी बधाई
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it’s destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
Aditya L1: सूर्य मिशन-आदित्य एल1 लैग्रेंज प्वाइंट में एंटर हो गया है. लैग्रेंज प्वाइंट वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा.
इंडियन स्पेस रिसर्च ओर्गनाइजेशन (ISRO) ने इतिहास रच दिया है. इसरो का पहला सूर्य मिशन-आदित्य एल1 शनिवार (6 जनवरी) को लैग्रेंज प्वाइंट में दाखिल हो गया है. सितंबर 2023 में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया आदित्य एल1 आज अपनी आखिरी और बेहद जटिल प्रक्रिया से होकर गुजरा.
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “भारत ने एक और माइलस्टोन हासिल किया है. भारत की पहली सोलर ओबजर्वेटरी आदित्य-एल 1 अपनी मंजिल तक पहुंच गई. यह सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं देशवासियों के साथ इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करता हूं. हम मानवता के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाते रहेंगे.”
‘इसरो ने लिखी सफलता की एक और कहानी’
वहीं, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के लिए यह साल काफी शानदार रहा है. पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इसरो ने एक और सफलता की कहानी लिखी है. आदित्य एल1 सूर्य से जुड़ो रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है.
स्पेस क्राफ्ट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैग्रेंज प्वाइंट (एल 1) के आसपास एक हेलो कक्षा में पहुंच चुका है. एल1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है. अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यान बिना किसी ग्रहण के सूर्य को देख सकेगा.
क्या है लैंग्रेज प्वाइंट?
लैग्रेंज प्वाइंट वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा. हेलो कक्षा में एल1 प्वाइंट के चारों ओर सैटेलाइट के जरिए सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव के जानकारी मिलेगी.
क्या है इसका उद्देश्य?
इस मिशन का उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप, सूर्य के धधकने से जुड़ी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं और अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को बेहतर ढंग से समझना है.
सूर्य की स्टडी करेगा आदित्य एल1
आदित्य एल1 मिशन का लक्ष्य सूर्य का अध्ययन करना है. यह मिशन सात पेलोड लेकर गया था, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपर) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) पर रिसर्च करने में मदद करेंगे.
बता दें कि सूर्य अध्ययन करना काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसके सतह का तापमान लगभग 9,941 डिग्री फारेनहाइट है. अब तक सूरज के बाहरी कोरोना का तापमान भी मापा नहीं जा सका है. इसी को देखते हुए आदित्य एल1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी के लगभग एक प्रतिशत दूरी 15 लाख किलोमीटर पर मौजूद एल1 की पास की कक्षा में स्थापित किया गया है.
Acident
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